सूर्य पृथ्वी को कितने घंटे में चक्कर लगाता है?
सूर्य पृथ्वी का चक्कर नहीं लगाता, बल्कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी और बाकी ग्रह सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से उसकी परिक्रमा करते हैं।
पृथ्वी एक पूरा चक्कर सूर्य के चारों ओर एक साल (365.25 दिन) में लगाती है। अगर हम इसे घंटों में बदलें, तो पृथ्वी सूर्य का चक्कर 8,766 घंटे में पूरा करती है।
यह चक्कर पृथ्वी के इर्द-गिर्द बनने वाले मौसम और दिन-रात के बदलाव का कारण भी बनता है। जब पृथ्वी सूर्य के करीब होती है, तब हमें गर्मी महसूस होती है और जब वह सूर्य से दूर होती है, तब ठंड का मौसम होता है।
सूर्य के इर्द-गिर्द पृथ्वी की परिक्रमा के साथ-साथ पृथ्वी अपने अक्ष पर भी घूमती रहती है, जिससे दिन और रात होते हैं।
तो, सीधे तौर पर कहें तो सूर्य पृथ्वी का चक्कर नहीं लगाता, बल्कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, और यह पूरी प्रक्रिया एक साल में पूरी होती है।
सूर्य और पृथ्वी के बीच का संबंध काफी दिलचस्प और जटिल है। हालांकि, आमतौर पर हम यह सोचते हैं कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, लेकिन सच यह है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। इसे समझने के लिए हमें थोड़ी खगोलशास्त्र की जानकारी लेनी होगी।
सूर्य पृथ्वी को कितने घंटे में चक्कर लगाता है?
पृथ्वी और सूर्य के बीच परिक्रमा का सिद्धांत:
हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, और पृथ्वी भी उन्हीं ग्रहों में से एक है। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक खास पथ पर घूमती है, जिसे हम कक्षा (Orbit) कहते हैं। यह कक्षा एक अंडाकार (elliptical) आकार की होती है, यानी पूरी तरह से गोल नहीं होती, बल्कि थोड़ी चपटी होती है।
एक परिक्रमा में कितना समय लगता है?
पृथ्वी एक पूरा चक्कर सूर्य के चारों ओर 365.25 दिन में लगाती है, जिसे हम एक साल के रूप में जानते हैं। हालांकि, पृथ्वी की गति पूरी तरह से एक जैसी नहीं होती, क्योंकि यह अपनी कक्षा में थोड़ी तेजी से और कभी-कभी धीमे-धीमे भी घूमती है। इस दौरान पृथ्वी की गति 29.78 किलोमीटर प्रति सेकंड (लगभग 107,000 किलोमीटर प्रति घंटा) होती है। इसे हम औसतन कह सकते हैं कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर 8,766 घंटे में पूरा करती है।
यह समय लगभग 365 दिन, 6 घंटे का होता है, जिसे हर 4 साल में एक अतिरिक्त दिन (लीप वर्ष) जोड़कर संतुलित किया जाता है। यानी, हर 4 साल में फरवरी महीने में 29 दिन होते हैं, ताकि कैलेंडर और पृथ्वी के चक्कर का समय समान रहे।
सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति:
सूर्य और पृथ्वी के बीच यह परिक्रमा पूरी तरह से सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravitational Pull) के कारण संभव होती है। सूर्य की विशालता और उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी को अपनी ओर खींचती है, जिससे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमती रहती है। यह वही ताकत है जो हमें धरती पर चीजों को गिरते हुए दिखती है – जैसे पानी, फल, या कोई भी वस्तु।
पृथ्वी का अक्षीय झुकाव और मौसम:
पृथ्वी का सूरज के चारों ओर घूमना केवल एक भौतिक घटना नहीं है, बल्कि इसका असर हमारे मौसम पर भी पड़ता है। पृथ्वी का अक्ष (Axis) लगभग 23.5 डिग्री पर झुका हुआ है। इसी झुकाव के कारण पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में मौसम बदलते हैं। जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य के नजदीक होता है, तो वहां गर्मी का मौसम आता है, और जब वह दूर होता है, तो सर्दी का मौसम आता है। इसी तरह, दक्षिणी गोलार्ध में इसके उलट होता है।
दिन और रात:
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा के कारण दिन और रात का चक्र भी बनता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती रहती है, और जब पृथ्वी का एक हिस्सा सूर्य की ओर होता है, तब वहां दिन होता है और दूसरी ओर रात। इस प्रकार, पृथ्वी की परिक्रमा और अक्षीय घूर्णन मिलकर हमें दिन और रात का अनुभव कराते हैं।
अन्य ग्रहों की स्थिति:
पृथ्वी की तरह बाकी ग्रह भी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, लेकिन उनके चक्कर का समय पृथ्वी से अलग होता है। जैसे कि शुक्र ग्रह अपनी कक्षा एक साल में 225 दिन में पूरा करता है, जबकि बृहस्पति जैसे बड़े ग्रह अपनी कक्षा पूरी करने में लगभग 12 साल का समय लेते हैं। हर ग्रह का कक्षा का आकार और गति अलग-अलग होती है, लेकिन सभी ग्रह सूर्य के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
निष्कर्ष:
तो, सीधे शब्दों में कहें तो सूर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर नहीं लगाता, बल्कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमती है। यह पूरी प्रक्रिया पृथ्वी के सूर्य के इर्द-गिर्द घूमने के कारण होती है, और यह परिक्रमा एक साल (365.25 दिन) में पूरी होती है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति और पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के कारण हमें मौसम, दिन-रात, और साल के बदलाव का अनुभव होता है।