भारत की पहली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System - BESS) की शुरुआत लद्दाख से होने वाली है। यह प्रणाली भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यहां पर भारत की पहली 50 मेगावाट (MW) बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजना स्थापित की जाएगी, जिसका उद्देश्य लद्दाख और अन्य दूर-दराज क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा स्रोतों का अधिकतम उपयोग करना है।
बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का महत्व:
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अक्षय ऊर्जा का भंडारण: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली सौर ऊर्जा (Solar Energy) और पवन ऊर्जा (Wind Energy) जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न होने वाली बिजली को संग्रहित करती है। जब इन स्रोतों से ऊर्जा का उत्पादन अधिक होता है, तो इसे बैटरी में संचित किया जाता है और जब आवश्यकता होती है, तब इसे नेटवर्क में डाला जाता है।
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विद्युत आपूर्ति में स्थिरता: अक्षय ऊर्जा स्रोतों की आपूर्ति कुछ समय के लिए होती है (जैसे सूर्य अस्त होने पर सौर ऊर्जा में कमी), लेकिन बैटरी भंडारण प्रणाली इन अंतरालों में भी विद्युत आपूर्ति को सुनिश्चित करती है। यह ऊर्जा की स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
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उच्च क्षमता वाली बैटरी सिस्टम: यह प्रणाली उच्च क्षमता वाली बैटरी का उपयोग करेगी, जो विद्युत ऊर्जा को लंबे समय तक स्टोर कर सकती है, जिससे विद्युत आपूर्ति में निरंतरता बनी रहती है।
लद्दाख में क्यों शुरू हो रही है यह परियोजना?
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दूरस्थ क्षेत्र: लद्दाख भारत का एक दूरदराज और ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र है, जहाँ ऊर्जा की आपूर्ति में कठिनाई आती है। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली इन क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देगी और नियमित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।
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नवीकरणीय ऊर्जा के अवसर: लद्दाख में सौर और पवन ऊर्जा के अच्छे संभावनाएं हैं, जो इस क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा की क्षमता को उजागर करने का अवसर प्रदान करती हैं। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली इन ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करने में मदद करेगी।
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भारत के शुद्ध कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कदम: यह परियोजना भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी, जिसके तहत देश ने 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली इस लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगी।
इस परियोजना का उद्देश्य और लाभ:
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संचालन में आसानी: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ सौर और पवन ऊर्जा से उत्पन्न होने वाली बिजली को संग्रहित करके इसे आवश्यकतानुसार उपभोक्ताओं तक पहुँचाती हैं। इससे पावर ग्रिड की स्थिरता बढ़ती है।
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मूल्यवर्धन: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ सस्ती और किफायती होती हैं, और यह भारतीय ऊर्जा प्रणाली को दीर्घकालिक लाभ देती हैं।
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ऊर्जा संचारण और वितरण में सुधार: बैटरी स्टोरेज सिस्टम से ऊर्जा संचारण और वितरण में सुधार होगा, क्योंकि यह नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाएगी और पावर ग्रिड की विफलताओं से बचाव करेगी।
परियोजना का कार्यान्वयन:
इस परियोजना का कार्यान्वयन राष्ट्रीय पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (PGCIL) और एनर्जी स्टोरेज परियोजना से जुड़ी अन्य सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा किया जाएगा। परियोजना में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की 50 मेगावाट क्षमता होगी, जो न केवल लद्दाख, बल्कि आसपास के क्षेत्रों को भी ऊर्जा आपूर्ति करने में सक्षम होगी।
निष्कर्ष:
भारत की पहली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली लद्दाख में स्थापित होने जा रही है, जो भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह परियोजना न केवल अक्षय ऊर्जा के अधिकतम उपयोग में मदद करेगी, बल्कि दूर-दराज क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति की समस्याओं को भी दूर करेगी। इसके साथ ही, यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।